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पूजा के फूल

फूल जो दूर खिले डाली में, 

तुम भी, पीड़ा से भरे हुए। 

तुम्हें विधि ने दिया सभी कुछ, 

तुम सुंदर हो, कोमल हो, 

है खुशबू भी उतनी, 

जितनी दूजे फूलों में, 

फिर भी नहीं, सौभाग्य तुम्हारा, 

उन फूलों सा, जो चढ़े हुए, 

उनके चरणों में,

जिनके निमित्त थे, खिले हुए। 

श्री की सुंदर ,सुषमा ,

वर्धित करने का श्रेय, 

नहीं, क्यों तुम्हें मिला? 

क्या मिला तुम्हें ,

ऊंचे तनकर ?

क्या मिला तुम्हें, 

इस लावण्य परम से ?

तेरा जीवन तो व्यर्थ गया ,

माटी में मिलकर, गलकर ,

कुछ उन फूलों की सोचो ,

जो थे नीचे, सचमुच तुमसे ,

पर आज मुकुट में रचे हुए, 

हैं आज हार में गुंथे हुए, 

देखो उनका उन्नत ललाट,

ऊंचा मस्तक,

बनकर पूजा के फूल, 

जो हुए धन्य ,

है उन्हें नमन।

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