मेरी क्षमता कितनी है, क्या है मुझ में शक्ति? क्या मैं बुन सकती हूं ? किसी के टूटे, बिखरे, सपनों का घरौंदा, अपनी क्षमता से। क्या मैं लिख सकती हूं ? किसी की कल्पित , साधना का जीवन लेख , अपने हाथों से। क्या मैं तेरे जीवन की लौ , पुनः जागृत कर सकती हूं। क्या मैं किसी की दुःशंका , धो सकती हूं ,अपने वचनों से ? क्या मेरे आलंबन में है, इतनी शक्ति, दे दूं किसी को नवजीवन? हर पल, हर क्षण , किसी का उपकार नहीं तो, अपकार करुँ ना , क्या यह हो सकता है? मेरी क्षमता कितनी है, क्या है मुझमें शक्ति?
विभिन्न विषयों पर मौलिक कविताएं, कहानियां।