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ये पदचिन्ह तुम्हारे हैं

ये पदचिन्ह तुम्हारे हैं ,

ये जीवन के अंश तुम्हारे हैं,

 इन्हें मान कर ईश्वर ,

क्या नमन करूं मैं ?

जो दुख देते पल-पल,

क्या स्तवन करूं मैं?

ये पदचिन्ह तुम्हारे हैं,

ये जीवन के अंश तुम्हारे हैं, 

या प्रतिशोध की ज्वाला में ,

दाह करूं मैं, 

इन नाहक जीवों का, 

संहार करूं ,

परित्याग करूं,

तिरस्कार करूं मैं,

ये पद चिन्ह तुम्हारे हैं, 

ये जीवन के अंश तुम्हारे हैं।

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