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रंग सारे चाहिए

सुन ऐ जड़ जीव अभागे, 

दुख मिलेगा, सोच कर ,

जो पांव पीछे कर लिए, 

कब तक चखोगे, 

स्वाद मीठे रसों का? 

कब तक लपेटोगे, 

फूलों की चादर? 

केवल मधुर का रंग ही, 

बेरंग कर देगा, 

तुम्हारे अंग को। 

सब रसों का मेल, 

यह संसार है। 

रंग सारे चाहिए, 

मुकम्मल आसमां के लिए।

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