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शामिल हो तुम

क्या शामिल हो तुम? 

अस्तित्व के संघर्ष में, 

हर सांस की ,

क्रिया प्रतिक्रिया में, 

क्या शामिल हो तुम? 

मेरे दृष्टि के हर दृश्य में, 

मेरे करों के स्पर्श में प्रत्येक, 

क्या शामिल हो तुम? 

काजल सी घोर निशा में, 

दृष्टि को चीर, दृश्य से दूर, 

क्या पाथेय?

तन में शामिल हो तुम, 

हो अथवा प्रकाश की ,

उन्मत्त अभ्यस्त किरणों में ,

अथवा विचक्षु को चक्षु का, 

आभास देते, 

क्या शामिल हो तुम? 

क्या ? तुम्हारे वक्ष पर, 

यह पग मेरा बढ़ता सहज, 

हर कदम के आरोह से ,

अवरोह के मध्य में ,

क्या शामिल हो तुम? 

हर विचार के, 

आदि ना हो ,

अंत ना हो तुम, 

पर चेतना के क्षण में प्रत्येक, 

क्या शामिल हो तुम?

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