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कृपा है सांई

तेरी करुणा के रस में डूबा,

ये मन हुआ विरागी,

जप, जोग, तप किए बिन,

तेरी कृपा है सांई ।


कुछ तो न मन को भाया, 

कुछ तन ने ना निभाया, 

जितनी भी पूजा जग की, 

कोई ना रास आया। 

लेकिन तेरी कृपा में ,

कोई न भेद पाया।


तेरी करुणा के रस में डूबा 

ये मन हुआ विरागी।


ऐसा है कौन जग में ,

नाते सभी जो देखे, 

जिनके लिए हैं चलते, 

जीवन के सब झमेले।

वन्दन बिना मिले जो,

एक दिन भी निभा जाए, 

ऐसा तो मीत जग में, 

तू ही दिखा अकेला।


 तेरी करुणा के रस में डूबा

 ये मन हुआ विरागी।

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