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मैं जल जाऊं

मैं तेरे इस आंगन से, 

कुछ धूप चुरा कर ले जाऊं, 

जो बात कही अनजानी सी, 

वह बात चुरा कर ले जाऊं, 

कतरा कतरा सांसें जो, 

टकराती है, खो जाती हैं,

उन सांसों से मैं कह कर, 

कुछ तेरी सांसों को दे जाऊं, 

फीके फीके तारों में, 

जो फांका फांका लगता है, 

मैं तारों से टकराकर, 

बंध जाऊं उनमें जाकर, 

तुम रौशन कर लेना, 

घर अपना, 

जो मैं जल जाऊं।

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