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प्राणों से प्यारी

हे नयन के प्रीत निष्ठुर,

पीड़ देकर उम्र भर का,

जा रहे हो नीर भरकर, 


क्या करूं तुम पर भरोसा ,

लौट आओगे अभी ,

तुम हो छलिया, 

फिर से छल जाओगे कभी, 


अब भरोसा किस पर करें, 

जो प्रभु ही छोड़ दे, 

मझधार में नैया लगाकर, 

पार क्या करोगे कभी, 


प्रीत से निष्ठुर पिया जी, 

पीड़ ना जग में हुआ जी, 

जो छोड़ के जाते समय भी, 

कहता रहे वह है मेरा जी, 


यह भरम दुख दे भले ही, 

पर विरह की पीड़ हरि जी, 

है हमें प्राणों से प्यारी।

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