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किनारा कहां तेरा

अंधी गलियों में दौड़ पड़े, 

अब ठौर ठिकाना कहां तेरा, 

हां मेरे सपनों की मंजिल, 

बोल किनारा कहां तेरा। 


मुश्किल था यह जाना था, 

पर पीछे हटना होगा ,

यह सोच ना थी ,

अब घबराकर काली रातों से, 

बोल सवेरा कहां तेरा, 

हां मेरे सपनों की मंजिल, 

बोल किनारा कहां तेरा।


जो थामे हाथ सहारे का ,

जो राह बता दे आगे का, 

जो रौशन कर दे पथ तेरा,

वो आलोकित तारा कहां तेरा, 

हां मेरे सपनों की मंजिल, 

बोल किनारा कहां तेरा।


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