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अनसुलझे पल

अनसुलझे पल,
जीवन के कुछ,
जिनमें थमते आदर्श,
रूकता चरित्र,
आईना नहीं है जो
अनसुलझे पल।

जिनमें जीने का अफसोस,
सदा जीवन करता,
जो नहीं बता पाते,
अपना इतिहास,
अपना भविष्य,
केवल होते वर्तमान,
ऐसे कुछ अनसुलझे पल।


जो हर जीवन के
साथ जुड़े,
हैं परदे में ढके हुए,
कुछ मन के परदे में,
और कुछ
रस्मों के परदे में,
ऐसे अनसुलझे पल।


जिन्हें भूलना मुश्किल,
सोचना गलत,
और जिनमें जीना
कुछ और नहीं,
होता बस एक भूल,
ऐसे कुछ
अनसुलझे पल।

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