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तौर तरीका

एक छोटी सी बच्ची है ,

अनजानी कायदों से, 

दुनिया जहां के, 

नहीं जानती ,

अपना कौन,

कौन पराया, 

रोज बुलाया करती है ,

देकर आवाज नए, 

कभी मां कहती है ,

कभी कहती है आजा, 

आजा आजा की टेर लगाती, 

चेहरे नए बनाती, प्यारे प्यारे, 

पता नहीं, वह क्यों बुलाती है? 

उसे मालूम नहीं है अब तक, 

कितना जरूरी होता है ,

अजनबियों से अजनबी बने रहना, 

बिना कुछ सोचे यहां, 

भारी पड़ता है कुछ कहना, 

यह इस दुनिया की रीत है, 

जो निभानी पड़ती है सबको ,

अपनी दीवारें, सरहदें अपनी, 

पहचाननी पड़ती है सबको ,

बदलना पड़ता है ,

अपना तौर तरीका ,

साथ चलने को जमाने के।

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