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टीनएज

मन मतवाला करने वाला, 

यह दोष उम्र का है सारा ।

यह ऐसी उम्र है प्यारे! 

हर हवा जो छू कर जाए, 

वह बिल्कुल अपनी लगती है।

हर हंसी जो कानों तक पहुंचे, 

वह पास बुलाती लगती है। 


नई बहारों से मिलने जब ,

पंख पसारे उड़ता है मन, 

सतरंगे फूलों से मिलकर ,

चाहे अनचाहे ,खुशबू की रव में ,

बह लेता है मन। 


उस पल के आकर्षण में जो, 

प्रीत सुहानी लगती है, 

सब दुनिया से बेगानी ,

एक रीत निराली लगती है ।


जो उस क्षण साथ नहीं देता, 

वह शख्स ही दुश्मन लगता है ।

जो राह दिखाता है दूजी ,

वह प्रेम का बैरी दिखता है। 


यह टीनएज है प्यारे !

जब सावन की हरियाली ,

हर पल छाई ही रहती है।

जब माघ, जेठ की गलन ,तपन 

बारिश सी बुझाए देती है।

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