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एक दिन

अभाव रहता नहीं शाश्वत सदा 

स्थान उसका ले ही लेता है 

विकल्प एक दिन। 


कोई कितना भी प्रिये हो, 

कितना भी आत्मीय 

किंतु उसको छोड़ ,

जाना पड़ता ही है एक दिन। 


जिंदगी की राह में, 

अकेला मुसाफिर सा बना कर, 

हर साथी साथ छुड़ा ही लेता है ,

एक न एक दिन।


नए पंछियों के आगमन से, 

नीरव पथ भी, 

गूंजता हरा-भरा वन ,

बन ही जाता है एक दिन। 


आयु कितना भी जिए कोई, 

आज है तो कल नहीं, 

कोई गया है आज, 

साथी उसका कल तो जाएगा ही, 

नए चेहरे, नए सवेरे बनकर, 

हर तन्हाई भर ही देते हैं एक दिन। 


अभाव रहता नहीं शाश्वत सदा,

स्थान उसका ले ही लेता है 

विकल्प एक दिन।

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