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यूं ही

चेतन के अविरल प्रवाह, 

कुछ देर जरा थम जा, 

अभी बिता लेने दो, 

कुछ समय अचेतन, 

जब मैं जागी हूं 

पर नहीं जागृत रहूं ,

जब तन में व्यथा हो, 

लेकिन हृदय आनंद में हो, 

कुछ समय ऐसा ,

जिसमें नहीं आवाज दे, 

कहीं से कोई मुझे, 

कुछ मैं कहूं ना, 

सांसों की झंकार 

जहां भी ना हो, 

मलयानिल बहकर आए, 

शीतल स्पर्श करे मुझको, 

पर मेरे मन में, 

ना हो हलचल, 

बहने दो कुछ क्षण यूं ही....!

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