आज मेरे मन में है जो, कर ही लेने दो मुझे वो , नहीं करना दिखावा प्यार का है आज तुमसे नहीं हंसना मुस्कुराना देख कर परिचित चेहरे मुझे साथी आज बस मौन रहने दो । आज जो संतक्त सा, बोझिल सा है ये मन मेरा तो देने संवेदना कहने को दो बोल प्रिय मत आओ ना । तुम दूर ही रह जाओ ना, मुझे स्वयं से ही उलझने दो घड़ी भर , स्वयं रोने दो, स्वयं संभलने दो, घड़ी भर, मत आओ ना।
विभिन्न विषयों पर मौलिक कविताएं, कहानियां।