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Showing posts from March, 2024

मत आओ ना

आज मेरे मन में है जो,  कर ही लेने दो मुझे वो , नहीं करना दिखावा प्यार का  है आज तुमसे  नहीं हंसना मुस्कुराना  देख कर परिचित चेहरे मुझे  साथी आज बस  मौन रहने दो । आज जो संतक्त सा,   बोझिल सा है  ये मन मेरा  तो देने संवेदना  कहने को दो बोल प्रिय  मत आओ ना । तुम दूर ही रह जाओ ना,  मुझे स्वयं से ही उलझने दो  घड़ी भर , स्वयं रोने दो, स्वयं संभलने दो,  घड़ी भर,  मत आओ ना।

प्रीत जगा देना

जब प्रीत नयन की निष्ठुर हो तब आत्मीय दीप जला लेना आक्रोश भरा जब जीवन हो तब शाश्वत प्रीत जगा देना। जब द्वन्द समाये शब्दों में  कर वृंद पार्श्व में कर लेना  जब ज्वलन युक्त हो नयन सजल  आरोह अवगुंठित कर देना। जब ठिठुर रहा हो शरद प्रिये  तब ऊष्मित वस्त्र बढ़ा देना  जब नमीं बदन की ताप मिले  तब निर्मल नीर बहा देना। वह असमय अग्रेसित हृदय  क्षुब्ध हो जब वापस हो जाए  एक बढ़ा हुआ उत्कर्ष शिथिल  नेह का बनकर पास आ जाना। जब प्रीत नयन की निष्ठुर हो  तब आत्मीय दीप जला लेना  आक्रोश भरा जब जीवन हो  तब शाश्वत प्रीत जगा देना।

जी लूं

कागा, मेरे मन की,  मैं जानूं ,तू जाने , अब की जो रैना है आई , शायद भोर ना होवे , तू तो काग है,  संग तिहारे  तेरे पंख पखारे,  मैं मयूरी पंख झूठे  खोखले सतरंगी,  बहुत गीली देह है वह  नहीं पानी नहीं है,  फिसलन है  कभी पकड़ पाती नहीं,  हर बार मेरे हाथ से वह  छूटता ही जा रहा , कागा, अब की जब वह आवे  मोहे पहिले बतलाना , शायद हाथों में माटी हो , शायद थोड़ी शक्ति हो , मैं शायद उसको रख लूं , कुछ क्षण को ही , मैं शायद उसको पा लूं , वह निर्मोही पल भर आवे , तो यह अमा चंद्रमा पा ले , वैतरणी की तीर खड़ी  मैं कुछ बूंदें पी लूं , कुछ क्षण को ही  शाश्वत जीवन जी लूं...!

देखे हैं

इन भौंडी तस्वीरों पर भी,  हंसने वाले देखे हैं,  हमने आग लगाने वाले,  जलने वाले देखे हैं,  कोई बहुत दूर तक साथी   तनहा भी चल लेते हैं,   हमने साथ निभाने वाले,  हाथ छुड़ाने वाले देखे हैं,  इन भौंडी तस्वीरों पर भी,  हंसने वाले देखे हैं,  सबकी अपनी दुनिया देखी,  सबके अपने सपने, उद्देश्य दिखे,  अपना जीवन ,अपना साथी , सबके अपने रस्ते देखे,  सब चलते हैं ,सब रुकते हैं , हमने दौड़ने वाले देखे,  ठेस लगी तो गिरने वाले,  उन्हें उठाने वाले देखे हैं,  इन भौंडी तस्वीरों पर भी,  हंसने वाले देखे हैं,  बस सपनों तक दुनिया जिनकी थी, उन्हें हकीकत बनते देखा,  हमने देखे गिरते घर , तो नए घरौंदे बनते देखा,  आज भी आती है जो सांस,  आज भी दिखते हैं जो सपने , फंसी हुई सांसों में भी , उन सपनों की तस्वीरें देखी , हमने गिरते उल्टे पलटे,  नाक चिढ़ाते हंसने वाले,  संवेदनहीन लोगों पर भी,  जान लुटाने वाले देखे , इन भौंडी तस्वीरों पर भी , हंसने वाले देखे हैं।