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थम जा जरा

ऐ निरंकुश चित्त, 

बेपरवाह मन, 
थम जा जरा, 
जो भागता ही जा रहा, 
हर बांध नाके तोड़ कर ,
थम जा जरा, 


तन की भी सीमाएं परख ले, 
तू देख ले सामर्थ्य उसकी, 
किलोल कर, फांद कर ,
उन्मत्त होकर, नाच कर, 
ऐ मन मेरे, 
आहत न हो ,
थम जा जरा, 


तू बंधा जिस देह से, 
तू जुड़ा जिस गेह से ,
सुननी ही होगी, 
पुकार उसकी, 
रुकना ही होगा, 
नाद सुन, उन दरख्तों का, 
थम जा जरा ,
ऐ निरंकुश चित्त ,
बेपरवाह मन ,
थम जा जरा…!

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