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खुशकिस्मत हो

मानो तुम खुशकिस्मत हो, 

कोई मीठे बोलों से बोल रहा, 

मन की गांठों को खोल रहा, 

तेरे कंधे पर सर रखकर, 

अपने सारे गम भूल रहा, 

तो मानो तुम खुशकिस्मत हो। 

हो छांव  किसी अंगना  की, 

हो धूप भरी बदरा की, 

हो शीतल हवा का झोंका, 

हो मरहम गर घावों की, 

तो मानो तुम खुश किस्मत हो ।

गर रोज-रोज हंस लेते हो, 

दिल खोल कहीं रख देते हो, 

मन के गहरे कोने में, 

शोर नहीं खामोशी है ,

तो मानो तुम खुश किस्मत हो ।

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